लग्न में सभी ग्रहों और राशियों का फलादेश

प्रथम भाव अथवा लग्न कुण्डली में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव है । लग्न ही समस्त भावों का ध्रुव केन्द्र और लग्न राशि का स्वामी लग्नेश ही कुण्डली का अधिपति माना जाता है ।

लग्नेश एवं लग्न राशि से जातक की शारीरिक गठन, वेशभूषा, आकृति, स्वास्थ्य, आचरण, कृशता, पुष्टता, स्थूलता, रंगरूप, गुण, स्वभाव आदि का अध्ययन किया जाता है। लग्न भाव में विभिन्न ग्रह विभिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं । यदि कोई ग्रह लग्न में हो या लग्न को देख रहा हो तो उस ग्रह से सम्बन्धित तत्व उस जातक में विशेष प्रबल होंगे। नीचे प्रत्येक ग्रह से सम्बन्धित तत्व एवं स्वभाव आदि का संक्षेप में विचार प्रस्तुत किया जा रहा है ।

लग्न में सभी ग्रहों का फलादेश

  • लग्न भाव में शुभ ग्रहों का होना जातक के लिए शुभ माना जाता है। इससे जातक को शरीर सुख, आरोग्य, ऐश्वर्य, मानसिक शक्ति, रोगों का नाश, भाग्य वृद्धि, और सुख-वैभव मिलता है ।
  • वहीं, लग्न भाव में पाप ग्रहों का होना जातक के लिए अशुभ माना जाता है (अगर स्वगृही या उच्च के ना हों तो)। इससे जातक को रोग, दुर्बुद्धि, आलस, दुर्गुण, और निर्धनत, दुर्भाग्य जैसी समस्याएं होती हैं ।
  • लग्न भाव में किसी ग्रह का न होना या किसी ग्रह की दृष्टि न होना जातक के कमज़ोर व्यक्तित्व को दर्शाता है ।
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सूर्य – ईमानदारी, तुनकमिजाजी, गुस्सा एवं शारीरिक पुष्टता । सूर्य यदि लग्न में या लग्नेश हो तो रंग (वर्ण) भी खुलता हुआ होगा ।

चन्द्र – कोमल, कल्पनाशक्ति की प्रबलता, भावुकता, सहृदयता, दयार्द्रता, मानसिक चिन्ता से ग्रस्त एवं उदर रोगी ।

मंगल – रूखापन, चेहरे पर रक्तिमता, साहसी, स्वस्थ शरीर, भव्य आकृति, धोखा देने वाला, स्वार्थ साधन में तत्पर और अपने सिद्धान्तों तथा भावनाओं पर दृढ़ रहने वाला ।

बुध – चेहरे को सुन्दरता, बनावट, कुछ पीलापन लिए हुए गौर वर्ण, ठिगना कद और पुष्ट शरीर ।

बृहस्पति – ऊँचा, लम्बा और दृढ़ शरीर, पीतिमा बाहुल्य वर्ण, विशाल आँखें, उन्नत ललाट, भव्य आकृति ।

शुक्र – विशेष सुन्दर, परिवार से स्नेह रखने वाला, स्त्रियों पर अनुसक्त, सुन्दर स्त्रियों के सम्पर्क में रहने का इच्छुक, कोमलता और गेहुआ रंग ।

शनि – श्याम वर्ण, स्थूल शरीर, छोटी-छोटी पर पैनी अखें, लम्बा तगड़ा शरीर, संकरा तथा अन्दर खिचा हुआा सीना एवं चालाक, कुटिल स्वभाव रखने वाला ।

राहु – शनि के समान ही इसका भी प्रभाव है ।

केतु – मंगल के समान इसका प्रभाव भी समझना चाहिए।

यदि लग्न में एक से अधिक ग्रह हों या एकाधिक ग्रह लग्न की देख रहे हों तो उन ग्रहों का मिला-जुला प्रभाव होना चाहिए ।

लग्न में सभी राशियों का फलादेश

मेष – मेष लग्न में जन्म लेने वाला जातक मंझले कद का, रक्तिम बहुल, गौर वर्ण का, चंचल नेत्रों वाला, तीक्ष्ण दृष्टियुक्त, तुरन्त मन की थाह पा लेने में समर्थ व्यक्ति होता है। उसका चेहरा चौड़ाई की अपेक्षा लम्बा कुछ ज्यादा होता है। मोटी और दृढ जाँघें भूरे रंग से मिश्रित काले बाल और चमकदार दांत ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है। ऐसा व्यक्ति चतूर, तुरन्त निर्णय लेने में सक्षम और स्वतन्त्र विचारों का धनी होता है । संकटों में भी मुस्कराता हुआ यह बाधाओं को पार कर लेता है।

ऐसा व्यक्ति धार्मिक मामलों में लचीला होता है। सामाजिक रूढ़ियों के प्रति विद्रोही विचार रखता हुआ भी उनका पालन करता रहता है, राज्य व समाज में यह प्रगति करता है और जाति में श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है । हाथ में द्रव्य आने पर वह दान देने में हेचकिचाहट महसूस नहीं करता।

समुद्र यात्रा अथवा जल से भय रखता आ भी दुर्गम कार्यों को सरल करने में तत्पर रहता है। मेष लग्न में अन्म लेने वाला व्यक्ति वैज्ञानिक विचारों अथवा कार्यों में विशेष रुचि रखता है। प्रत्येक कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करने में रुचि रखता ।

साधारण कुल में जन्म लेने पर भी अपनी प्रतिभा एवं बुद्धि से उच्च पद पर पहुँचता है। थोड़ी-सी भी विपरीत बात या कार्य से ये एकदम क्रोधित हो जाते हैं, परन्तु पुनः शान्त भी शीघ्र हो जाते है । धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त कला, विज्ञान, संगीत और ज्योतिष में भी रुचि रखते हैं। सौन्दर्य के प्रति इनका स्वाभाविक रुझान रहता है । इनके जीवन में उत्थान-पतन भी अवश्यम्भावी हैं।

वृष – वृष लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति शरीर से बलिष्ठ और पुरुषार्थी होता है, चेहरा गौर वर्ण और लम्बा होता है, होंठ जरूरत से ज्यादा मोटे तथा कान और श्राँखें लम्बी होती हैं। ऐसे व्यक्ति का चेहरा आकर्षक होता है तथा उन्नत ललाट एवं लम्बे हाथ ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है।

ऐसा व्यक्ति हर समय नवीन शोध में प्रवृत्त रहता है, स्वभाव से यह गम्भीर एवं कम मित्र रखने वाला होता है, अनुचित कार्य करता है और करने के बाद घण्टों पछताता रहता है ।

इस लग्न में जन्म लेने वाले की प्रवृत्तियाँ भी साँड की तरह ही होती हैं, अपने आप में मस्त श्रौर धुन का पक्का होता है । जिस काम को एक बार छेड़ लेता है, उसके पीछे पूरी तरह लग जाना इसका स्वभाव होता है ।

ये निरंतर योजनाएँ बनाते रहते हैं तथा अपने ही विचारों को मूर्त रूप देने में सदा तत्पर रहते हैं। इसका व्यक्तित्व भव्य और कार्य करने की शैली नूतन होती है । इस प्रकार का जातक वाद्य संगीतादि कलाओं में रुचि रखता है तथा विविध प्रकार के भोग भोगने में प्रवृत्त रहता है ।

मिथुन – मिथुन लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति कठिन परिश्रमी होता है तथा जीवन के प्रत्येक क्षण को सार्थक करने में लगा रहता है, परन्तु फिर भी उसे वह सब प्राप्त नहीं होता, जिसकी उसे चाह रहती है अथवा जिसे पाने का वह अधिकारी होता है । फलस्वरूप वह हीन भावना का शिकार हो जाता है तथा दबी जबान से विद्रोही स्वर निकालने में तत्पर रहता है ।

ऐसा व्यक्ति एक साथ कई कार्यों को करने की जोखिम उठा लेता है। लिखने-पढ़ने का विशेष शौकीन होता है, तया यदि लग्न को गुरु देख रहा हो तो लेखन कार्य में भी ख्याति अर्जित करता है, परन्तु ऐसे जातक का लेखन किसी एक विशेष धारा या विषय पर न होकर विविध विषयों पर होता है। हर समय कुछ न कुछ करते रहने की इन्हें धुन रहती है । ऐसा जातक लम्बे कद का, हृष्ट पुष्ट शरीर और आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है। नया कार्य प्रारम्भ करने में इन्हें विशेष प्रसन्नता होती है ।

इनकी प्रत्येक कार्यसिद्धि में व्यर्थ की देर होती है और परिश्रम से कम फल प्राप्त होता है फिर भी इनमें गजब की हिम्मत होती है तथा ये भारी से भारी बाधात्रों का सामना करने को तैयार रहते हैं।

मकेनिकल कार्यों में इनका दिमाग अत्यन्त तेज होता है। पुस्तक व्यवसाय, लेखन-प्रकाशन इनके शौक होते हैं । चतुर, बात करने में प्रवीण और अपना कार्य निकालने में ये होशियार होते हैं । सच्ची मित्रता की कसोटी पर ये खरे उतरते हैं ।

कर्क – इस लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति भावुक और सहृदय होता है, भावनाओं में वह जब बह जाता है तो अपना भला-बुरा भी नहीं सोचता । निरन्तर कठोर परिश्रम करते रहने पर भी कभी-कभी फल प्राप्ति में देरी हो जाती है।

जीवन में आगे बढ़ते रहने की तीव्र इच्छा रहती है, परन्तु लगातार असफलताओं के कारण हीन भावना मन में घर कर जाती है। सजावट और गायन आदि में ऐसे जातक विशेष रुचि लेते हैं। नये नये कार्य करते रहने की प्रवृत्ति रहती है ।

अत्यन्त तीक्ष्ण बुद्धि और अन्वेषक विचारधारा जीवन सफलता प्रदान करने में सहायक होती है । परन्तु भावुकता का तत्व प्रधान रहने के कारण ये किसी कार्य की गहराई तक पहुँचने की क्षमता नहीं रखते । पैसे की कमी रहने पर भी द्रव्य के कारण इनका कोई काम रुकता नहीं और सामाजिक कार्यों में खर्च करने को यह सदा तत्पर रहते हैं ।

न्यायशीलता, पक्षपात रहितता और ईमानदारी के लिए ऐसे व्यक्ति प्रख्यात होते हैं । इनका दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं कहा जा सकता, पति-पत्नी के विचारों में विभिन्नता तथा मनमुटाव स्वाभाविक है।

सिंह – सिंह लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति क्रोधी और उन्नत विचारों को रखने वाला होता है। कठिनता से गुस्सा होता है और गुस्सा आने पर एकदम से शान्त भी नहीं होता है। संगीत-कलादि में रुचि रखने वाला और भ्रमण का शौकीन होता है।

इस लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति का शरीर आकर्षक होता है, गोल और चौड़ा मुंह, ऊँचा उठा हुआ ललाट चेहरे की विशेषता होती है। नीचे के भाग की अपेक्षा शरीर के ऊपर का भाग ज्यादा प्रभावकारी और सुन्दर होता है ।

अपने जीवन में ऐसे व्यक्ति प्रत्येक प्रकार की स्थितियों को अपने अनुकूल ढाल लेते हैं। अपने अफसरों के प्रति कृतज्ञ रहते हैं तथा आत्मविश्वास की भावना प्रबल होती है। धर्म के नाम में ये कट्टर न रह कर बीच का रास्ता स्वीकार कर लेते हैं, भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं, परन्तु संतुष्ट हो जाने के बाद आलसी भी हो जाते हैं इनके विचार मौलिक होते हैं तथा जीवन का एक निश्चित उद्देश्य होता है, जिसे पूर्ण करने में ये कृतसंकल्प रहते हैं ।

ये संशयात्मक और शक्की प्रकृति के भी होते हैं तथा किसी की भी बात का तुरन्त विश्वास कर लेते हैं, फलस्वरूप जीवन में कठिनाइयाँ एवं खतरे भी उठाने पड़ते हैं। सिंह लग्न वालों में अधिकांशतः जातकों के एक ही पुत्र होता है। ऐसा जातक भ्रमण कार्य में तत्पर कई मित्र रखने वाला, विनयशील, माता-पिता का प्रिय, व्यसनशील तथा प्रख्यात होता है ।

कन्या – कन्या लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति प्रत्येक कार्य करने में उतावली करता है, फिर वह कार्य चाहे उसके लिए हितकर हो अथवा अहितकर । भावना प्रधान होने के कारण ऐसे व्यक्ति भावुक होते हैं। और मस्तिष्क बहुत अधिक क्रियाशील रहता है और हर क्षण कुछ न कुछ नया ही सोचता रहता है। संगीत आदि में रुचि रखने वाले होते हैं। मध्यम कद के, गौर वर्ण तथा तीखी नासिका के धनी ऐसे व्यक्ति अपने चेहरे पर कोमलता और मसृणता लिए होते हैं।

इनका सीना उभरा हुआ सजीला होता है, ललाट देदीप्यमान और केशराशि सघन होती है। यौवन-काल इनका सर्वाधिक उन्नत काल होता है, पठन-पाठन में कम रुचि रहती है तथा दूसरों को अपनी भावनाओं के साथ बहा ले जाने की इनमें अपूर्व क्षमता होती है। ये स्वार्थी होते हैं और अपने मामूली से स्वार्थ के लिए दूसरों का बड़े से बड़ा नुकसान करने में भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करते।

ये जातक सफल कूटनीतिज्ञ होते हैं तथा राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक सफल होते हैं। इनके मन में कुछ और तथा होंठों पर कुछ और होता है, फलस्वरूप इनके मन की थाह पा लेना: कठिन होता है । मानसिक हीनता भी रहती है। जीवन के संघर्षो में हिम्मत हार बैठते हैं। विपरीत योनि के प्रति विशेष झुकाव रहता है तथा प्रेम के क्षेत्र में असफल रहते हैं ।

तुला – तुला लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति आदर्श भावना प्रधान, शीघ्र निर्णय लेने की शक्ति रखने वाले, अपने प्रभाव से दूसरों को मित्र बनाने वाले तथा रचनात्मक कार्य करने में तत्पर रहते हैं। खुलता हुआ गोरा रंग, न अधिक ठिगना और न अधिक लम्बा कद, कफ-प्रधान प्रकृति, चतुर, सदा मुस्कराते रहने वाले, चौड़ा चेहरा, तीखी और सुन्दर आँखें, चौड़ी छाती और सुन्दर आकृति का धनी यह जातक सफल माना जाता है।

ये व्यक्ति योग्य और कार्यदक्ष होते हैं। सामने वाले मनुष्य के मन की थाह पा लेने की इनमें विशेष योग्यता होती है और अवसरानुकूल अपने आपको ढाल लेने में ये प्रवीण होते हैं ।

न्याय, दया, क्षमा, शान्ति एवं अनुशासन की ओर इनका झुकाव रहता है। इनकी कल्पनाशक्ति प्रबल रहती है तथा साधन-विहीन होने पर भी इनका लक्ष्य ऊँचा होता है । राजनीतिक क्षेत्र में ये जातक सफल होते हैं ।

वृश्चिक – पुरुष तत्व प्रधान ऐसा जातक दूसरों को छेड़ने में श्रानन्द अनुभव करता है। अस्थिर प्रकृति का ऐसा जातक आकर्षक व्यक्तित्व रखने वाला होता है। मंझला कद, गठीला शरीर, विशाल मस्तिष्क दीप्त ललाट, छितरे काले बाल, उभरी हुई ठोढ़ी और चमकती हुई आँखें ऐसे जातक की विशेषता होती है।

इनका व्यक्तित्व सहज ही दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। चुम्बकीय और सम्मोहक व्यक्तित्व के ऐसे जातक घनी व लोकप्रिय होते हैं। प्रेम क्षेत्र में ये अग्रणी होते हैं तथा विपरीत योनि के प्रति सहज आकर्षण अनुभव करते हैं। अपनी भावनाओं पर ये सहज ही नियन्त्रण नहीं कर पाते और बिना परीक्षा लिए दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं ।

स्वार्थ सिद्ध होने तक दुश्मन को कंधे पर बिठाने में भी ये नहीं हिचकिचाते, परन्तु स्वार्थ पूर्ति के पश्चात् उसे पैरों तले रौंदने में भी देर नहीं लगाते । राजनीति के क्षेत्र में ऐसे जातक पूर्ण सफल होते हैं। स्वभाव उग्र होता है तथा जरा-सी विपरीत बात होने पर ये भड़क उठते हैं। जान-पहचान विस्तृत होती है तथा विरोधियों तक से काम निकालने में चतुर होते हैं ।

लेखन कार्य में ये सफल हो सकते हैं, परन्तु शारीरिक झंझटों एवं आलस्य के कारण नियमित लेखन नहीं कर पाते। धन का इनके जीवन में अभाव नहीं रहता, पर धन को संचय कर एक जगह रखने की कला भी इन्हें नहीं आती । हीन भावना की प्रबलता होने पर ईश्वराराधना का दिखावा भी करते हैं।

धनु – धनु लग्न में जन्म लेने वाले जातक अधिकांशतः दार्शनिक. विचारों के धनी होते हैं, ईश्वर में इनकी दृढ़ आस्था रहती है, दूसरों पर तुरन्त विश्वास कर लेते हैं। शारीरिक गठन सुन्दर और सजीली होती है । गोल और आकर्षक चेहरा, श्याम-पीत केश, पैनी और खिलती हुई आँखों तथा सम्मोहक मुस्कराहट इनकी विशेषता होती है।

इनके शरीर साधारणतः स्थूलता ही रहती है। निरन्तर परिश्रमरत ऐसे जातक वणिक वृत्ति प्रधानही ते हैं तथा प्रत्येक कार्य में अपना भला-बुरा पहले सोच लेते हैं ।

ऐसे जातक सात्विक वृत्ति प्रधान होते हैं। व्यर्थ का दिखावा, फैशन, अपव्यय आदि से दूर रहते हैं। जीवन में सत्य, न्याय, ईमानदारी, दयालुता और स्वतन्त्रता को विशेष महत्व देते हैं।

मकर – यह व्यक्ति रहस्यमय होता है तथा इसका कोई भी कार्य निश्चित नहीं होता । अपने उद्देश्यों के प्रति यह सचेत रहता है तथा ऊँची-ऊँची योजनाएँ बनाने में सदा तत्पर रहता है। लम्बा, ऊँचा, रक्त गौर वर्ण और कड़े केशों वाला यह जातक चपटी नाक, बड़ा सिर और पैनी आँखों का धनी होता है। शरीर से ये पतले और फुर्तीले होते हैं ।

इनका स्वभाव उम्र होता है, परन्तु जहाँ अपना पक्ष कमजोर पड़ता देखते हैं, वहां नम्र भी हो जाते हैं। कमाते हैं, पर पैसा इनके पास टिकता नहीं, अतः हर समय द्रव्य का अभाव बना रहता है। दिखावे और शान-शौकत में ये अपव्यय कर डालते हैं।

इनका दाम्पत्य-जीवन मधुर नहीं कहा जा सकता। दोनों के विचारों में मतभेद बना रहता है, व्यापारिक कार्यों में इनकी रुचि होती है, पर उसमें ये सफल नहीं हो पाते होनभावना से भी ये ग्रस्त रहते हैं तथा बहुत अधिक बोलते हैं। वाक्शक्ति पर इनका नियन्त्रण नहीं रहता । ये अच्छे अभिनेता होते हैं तथा क्षण- क्षण में रूप बदलने में पारंगत होते हैं। स्वार्थ की भावना विशेष होती है।

कुम्भ – कुम्भ लग्न दार्शनिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है। इस लग्न में जन्म लेने वाला जातक शिक्षित, सभ्य, शान्त एवं कुलीन विचारों का धनी होता है। दूसरों की सहायता करने को ये सदा तत्पर रहते हैं। सेवा, सहानुभूति एवं सहायता इनके जीवन का उद्देश्य होता है।

मस्तिष्क इनका तीव्र होता है तथा स्मरणशक्ति इनमें गजब की होती है। ये व्यक्ति लम्बे, हृष्टपुष्ट, प्रभावयुक्त चेहरा तथा उभरा हुआ मस्तिष्क रखते हैं।

सरल स्वभाव के ये जातक प्रत्येक विचार में नवीन युक्ति प्रस्तुत करते हैं तथा खरी-खरी कह देने में हिचकिचाहट महसूस नहीं करते। इनकी उन्नति और अवनति अप्रत्याशित रूप से ही होती है तथा जीवन में निरन्तर बाधाओं के थपेड़े सहने पड़ते हैं, कठिन से कठिन संघर्षो में उलझना इनका स्वभाव होता है । वृद्धावस्था में पेट और छाती सम्बन्धी बीमारियां हो जाती हैं ।

मीन – मीन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति श्रद्धालु ईश्वर में विश्वास रखने वाले, मेहमान प्रिय, सामाजिक रूढ़ियों का पालन करने वाले बातचीत में प्रवीण और समझदार होते हैं। ऐसी लग्न रखने वाले जातक मध्यम कद के, सुन्दर घुंघराले केश, उन्नत नासिका, छोटे छोटे दाँत, पनी आँखें और भव्य प्राकृति लिए हुए होते हैं।

ये सहिष्णु होते हैं, यदि कोई इनके साथ बुराई का भी व्यवहार करता है तो ये प्रत्युत्तर में भलाई करते हैं। अधिकतर ये अपने आप में ही केन्द्रित रहते हैं, आर्थिक मामलों में ये लचीले होते हैं, पारिवारिक जीवन इनका पूर्ण सुखी होता है ।

लेखन में ये रुचि रखते हैं तथा संगीत-नाटक-काव्य आदि में आस्था प्रकट करते हैं। आर्थिक मामलों में ये पिछड़े रहते हैं, धन इनके पास आता है पर टिकता नहीं। दोनों हाथों से खर्च करते हैं। आत्मविश्वास इनमें भरपूर होता है तथा जीवन में ये अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं ।

लग्न के अतिरिक्त लग्नेश की स्थिति, लग्नस्थ ग्रह, उनका स्वभाव तथा अन्य भावों से उनके सम्बन्धों का ज्ञान प्राप्त करके ही फलाफल निर्देश करना चाहिये। कुण्डली में लग्न प्रधान होता है, अतः लग्न एवं लग्नेश की जानकारी का पूर्णतः अध्ययन करना चाहिये ।

 

 


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