रोग के लिये ग्रह शांति प्रयोग

फोबिया: निम्नलिखित मामलों में ज्योतिषीय राय से व्यक्ति के दिमाग से “फोबिया” को हटाने के बारे में बताया गया है। फोबिया का डर, विभीषिका या घृणा के रूप में परिभाषित किया गया है। फोबिया की स्थिति में रोगी को कुछ निश्चित हालातों में विवेकहीनता का डर सा होता है अर्थात विचित्र प्रकार के भय से भयभीत होना ।

फोबिया चित्त की एक ऐसी अवस्था है जिसका कोई युक्तिकारक आधार नहीं है तथा डाक्टरी दृष्टि से इसका कोई निश्चित हल नहीं है ।

रोग के लिये ग्रह शांति के प्रयोग

उपर्युक्त जन्मपत्री उस व्यक्ति की है जो मेजर रह चुका है जो मेरे पास आया था। जब व्यक्ति आकर मेरे कमरें में बैठा उस समय एमदम सामान्य था पर जैसे ही मैंने उसकी जन्मपत्री पढ़नी शुरू की वह बेहोश सा हो गया। सारा शरीर अकड़ कर सख्त हो गया।

मैंने एक दम उस व्यक्ति के ऊपर पानी की कुछ बून्दें छिड़की । व्यक्ति को तुरन्त होश आ गया तो उसकी पत्नी (जो व्यक्ति के साथ आई थी) ने बताया कि जब भी कोई इनकी जन्मपत्री देखता है तो सामान्यता ऐसा हो जाता है। तथा काफी समय के पश्चात होश आता है। लेकिन आज तो ये बेहोश ही नहीं हुए।

उसने बताया कि यह समस्या दो वर्ष पह्ले शुरू हुई जब व्यक्ति किसी ज्योतिषी के पास परामर्श के लिए अपनी जन्मपत्री लेकर गया: था। उसने बताया कि वे ज्योतिषियों, तान्त्रिकों तथा अन्य लोगों के पास भी गए थे तथा सारी आशाएँ खो चुके थे। वे बहुत तनावपूर्ण स्थिति में थे तथा प्रकृति भी उनके साथ नहीं थी। उन्हें भय था कि कोई प्रेत आत्मा उनका पीछा कर रही थी और ये उसका ही प्रभाव था । परन्तु उनका पक्का विश्वास था अब कुछ चमत्कारिक होने जा रहा है।

यदि हम जन्मपत्री की समीक्षा करें तो यह शीशे की तरह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति फोबिया से पीड़ित है।

  • चन्द्रमा सूर्य के समीप है तथा राहू से दृष्ट है । चन्द्रमा जो चित्त को दृढ़ करता है मंगल तथा सूर्य के बीच फंसा है।
  • आत्मकारक सूर्य न केवल नीच है अपितु शक्तिशाली शनि से भी दृष्ट है।
  • सूर्य बारहवें भाव में है तथा पांचवे भाव का स्वामी बृहस्पति भी बारहवें भाव में है।

उससे स्पष्ट है कि व्यक्ति दुष्ट आत्मा से पीड़ित नहीं है। फिर भी क्योंकि केतु नवें भाव में है तथा शक्तिशाली शनि की इस पर दृष्टि है, अतः जो भी आत्माओं से संबंधित होगा वह इसका अर्थ यह ही निकलेगा कि दुष्ट आत्माएं उसके पीछे है।

इसके अतिरिक्त यह एक आम नियम है कि अगर कोई डाक्टर के पास जाएगा तो वह उसे कुछ दवाईयाँ दे देगा। ज्योतिषी इसके लिए ग्रहों को दोषी मानेगा तथा तान्त्रिक दुष्ट आत्माओं के कारनामों पर जोर देगा।

उसे निम्नलिखित रक्षक उपायों की सलाह दी गई।

  • 250 ग्राम सिंदूर, 35 चांदी के वर्क, आमला या चमेली का तेल श्री हनुमान मंदिर में तेल-स्नान (शनि) के लिए अर्पण किया जाए ।
  • 21 दिनों तक गरीबों में खीर बांटी जाए (चन्द्रमा के लिए)
  • 21 दिन तक गरीबों में हलवा बांटा जाए (राहु तथा सूर्य के लिए)
  • चाँदी की अंगूठी में चन्द्र यन्त्र उत्कीर्ण कर उसे पहना जाए। (चन्द्रमा के लिए)
  • दिन में 11 बार श्री हनुमान संकट मोचन का पाठ किया जाए।

उस व्यक्ति को 90 दिन बाद मिलने को कहा गया । मैंए उसे यह भी आश्वासन दिया गया कि यदि व्यक्ति ऊपर बताए अनुसार उपाय करेगा तो ऐसी गन्दी स्थिति फिर कभी नहीं आएगी।

ये सज्जन पहले सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। वह निर्धारित वक्त पर मेरे पास आए। हम एक घन्टे से भी अधिक समय तक लगातार बाते करते रहे। इस दौरान वह लगातार विचार विमर्श सुनता रहा। वह दो घण्टे से ज्यादा मेरे साथ रहा पर वह भयानक स्थिति पुनः नहीं आई। वह अपने बेहोशी के दौरों से पूरी तरह मुक्ति पा चुके हैं तथा नियमित रूप से आते हैं। परमेश्वर की कृपा से उन्हें विश्वास हो गया है कि वह स्थिति पुनः नहीं लौटेगी ।

रीढ की हड्डी: दिल्ली के पास के राज्य से एक फोन आया। साहब, मेरा लड़का काफी बीमार है। मैं आपसे परामर्श करना चाहता हूँ। वे मिलने आये। उन्होंने बताया कि उनका लड़का सीढ़ी से गिर गया और उसकी कमर की हड्डी टूट गई। उसकी शल्य चिकित्सा कर के हड्डी को पुनः जोड़ दिया गया। परन्तु अभी भी लड़का उठने में असमर्थ है।

रीढ की हड्डी का सम्पर्क व्यक्ति के मस्तिष्क से होता है और मस्तिष्क की आज्ञा के अनुसार आदमी के हाथ पैर काम करते है। ऐसी अवस्था में यह छात्र केवल लेटा रहता था । उसको जरा भी उठाओ तो चीखने लगता था। उसका एक बार फिर से एक्स-रे भी लिया गया था ताकि फिर से शल्य चिकित्सा की जाये।

जब वो मेरे पास आये तब लडके का बुद्ध में सूर्य चल रहा था।

  • सूर्य तथा केतु के अंश बहुत पास हैं।
  • लग्नेश शनि छठे भाव में स्थित है।
  • तथा शनि मंगल की परस्पर दृष्टि के कारण आहत योग बनता है तथा सूर्य केतु के समीप होने के कारण आहत से हड्डी टूटने का योग बना।
  • चन्द्रमा राहू द्वारा दृष्ट है अतएव मनोवैज्ञानिक उपायों की अधिक आवश्यकता है।

उनको निम्न उपाय बताये गये ।

  • 40 किलो गेंहू अन्ध संस्थान में दें ।
  • 40 किलो काले चने थोड़े-थोड़े बनाकर सरसों के तेल का छौंक लगा कर अदरक हरी मिर्च तथा नमक डाल कर अन्ध संस्थान या गरीब व्यक्तियों में बांटे।
  • दो अण्डों का आमलेट मंगलवार के अतिरिक्त कौवे को खिलायें।
  • मंगलवार को मीठी रोटी कौवे को खिलाये ।
  • 250 ग्राम सिन्दूर, 35 ग्राम चांदी के वर्क, आंवले का तेल श्री हनुमान मन्दिर में दें।

वे एक दो बार फिर मिले। मैंने उन्हें बताया कि एक बार ये उपाय फिर से दौहराये जाये । चिन्ता न करें। आपके लड़के की फिर शल्य चिकित्सा नहीं होगी। एक दिन उन्होंने फिर फोन किया। मैंने कहा “लड़के के हाथ में. फोन दो” । लड़के को मैने निम्नलिखित मन्त्र का जाप करने को कहा :

  • नाशै रोग हरे सब पीड़ा जपत निरन्तर हनुमत बीरा

एक दिन उन्होने फिर फोन किया और कहा कि उसकी रिपोर्ट आ गई है तथा शल्य चिकित्सक शल्य चिकित्सा पर जोर दे रहे है। मेंए उन्हें बताया कि इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मैं पहले भी कई बार बता चुका हूँ । मेंने कहा रोज 2 किलो पालक गाय को खिलायें ।

और लडके को बताया कि, वह लगभग एक घण्टा लगातार पलंग पर बैठा हुआ पुस्तकों का अध्ययन करे और फिर वह लेट जाये। ऐसा वह घण्टे घण्टे पश्चात करता रहे यदि उसको दर्द हो तो वह फिर से मन्त्र का जाप करता रहे। एक बार उसकी हड्डी में अवश्य दर्द होगा। यह दर्द एक दो बार होगा और बाद में नहीं होगा । लड़के ने इसी प्रकार किया ।

लड़के ने मन्त्र का जाप लेटे लेटे किया । उपाय चलते रहे। एक दिन लड़के ने फिर फोन किया तो उसे समझाया कि अब वह ठीक हो गया है और आधे-आधे घण्टे के पश्चात कमरे में आधे मिनट के लिए चक्कर लगाये । हाँ, आपने सोमवार को पाठशाला जाना है। अतएवं आज एक घण्टा, कल डेढ़ घण्टा तथा इस प्रकार दो से तीन घण्टे बैठने का अभ्यास करें तथा पाठशाला जाये ।

मेरी बात का लड़के पर प्रभाव पड़ा तथा वह सोमवार को पाठशाला चला गया। उसकी शल्य चिकित्सा की आवश्यकता नहीं पड़ी। उसके पिता जी एक बार फिर मिलने आये। उन्होंने अपने लड़के के स्वास्थ्य लाभ के लिए धन्यवाद दिया और चले गये।

वास्तव में ज्योतिष में उपायों का ही महत्व है। लेकिन हम सभी उपाय एक साथ नहीं कर पाते है जिसके कारण कोई न कोई कमी अवश्य रह जाती है ओर हमारे कार्य बनते-बनते बिगड़ जाते है।

ज्योतिषी को मनोवैज्ञानिक भी होना चाहिए। उसके अमृत भरे शब्द किसी भी व्यक्ति को मानसिक साहस देते हैं और उसे योग्य बनाते है कि वह परिस्थितियों का दास न हो कर निश्चयपूर्वक अपने कार्य में जुट जावे, तो सफलता उसके कदम चूमती है।

मानसिक अशांति: कहते है कि मनुष्य को रोग उसके पूर्व कर्मों के अनुसार प्राप्त होते है । यह एक ऐसे ही छात्र की कहानी है जो परिवार के लिए सिरदर्द बन गया था। उसके पिताजी ने समय लिया और समय पर पहुँचे भी। किन्तु वे बड़े परेशान थे। होना भी चाहिए था। कारण था कि काफी व्यक्ति उनसे (पिता से) उपाय पूछने आते थे और उनका कोई भी उपाय अपने बच्चे पर काम नहीं कर रहा था।

मैंने जन्मपत्री की समीक्षा की ओर उस लड़के से प्रश्न किया “आप को परियाँ तो मिलने आती होंगी ? देवी देवता भी आपको समय समय पर आर्शीवाद देते होंगे ? उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। आश्चर्य इसलिए भी हुआ की अभी तक वह जितनों से मिलता था वह उसके प्रश्नों का उत्तर न दे पाये थे । उसने प्रश्नों की झड़ी लगा दी। पिताजी परेशान थे कहीं मैं अप्रसन्न न हो जाऊ। जन्मपत्री की समीक्षा से स्पष्ट है कि उसका चन्द्रमा निर्बल है। ग्रहों की शान्ति इस प्रकार की गयी :-

  • चन्द्रमा को शक्तिशाली बनाने के लिए पाँच बड़े बताशे (चन्दा) प्रतिदिन गाय को खिलायें 50 दिन तक ।
  • 40 किलो खीर गरीबों को बांटे (चन्द्र+मंगल) एक बार ।
  • 40 किलो नमकीन चावल गरीबों को बांटे (शनि+चन्द्र) ।
  • दूध, दृष्टिहीन व्यक्तियों को पिलायें (शुक्र+चन्द्र) 10 दिन ।
  • मंगल की शान्ति के लिए भी हनुमान जी को चौला चढ़वायें।

केतु चन्द्र के साथ है तथा मंगल शनि की दृष्टि है। इस परिवार के लिए तो चमत्कार हुआ। जब खीर बाँट कर ये छात्र आया तो फिर ऐसा सोया कि उसे 48 घण्टे के पश्चात बलपूर्वक जगाना पड़ा। ऐसा आश्चर्य उन्होंने देखा तो न था, हाँ सुना अवश्य था ।

उसी के भाई के अनुसार, 22 – 22 घण्टे जागना, बहकी बहकी बातें करना, घबराते हुए उठना, बात बात पर भड़कना और लोगों को बेमतलब उपदेश देना – ये हरकतें परिवार के सभी सदस्यों के लिए समस्या बन चुकी थीं।

पहले इसकी डाक्टरों द्वारा जांच कराई गई लेकिन कोई लाभ न हुआ। सभी प्रयत्न विफल हुए। कुछ लोगों ने परामर्श दिया कि इसकी चिकित्सा तान्त्रिकों से कराई जाये ताकि यदि देवी देवताओं का प्रकोप हो तो उसका समाधान निकल आए दर्द बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की। अब तो इसको सभी देवी देवताओं के दर्शन होने लगे और यह आकाश की परियों के साथ विचरण करने लगा।

जब इसने अपने ये किस्से तान्त्रिकों को सुनाये तो वो यह मान बैठे की इसके पास कोई दैविक शक्ति है और उसका लोहा मान बैठे और उसकी चिकित्सा करने में अपने को असमर्थ पाया उसके किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाते थे। इसी स्थिति में इसका एक वर्ष शैक्षिक दृष्टि से खराब हो गया।

इस छात्र में चमत्कारी शारिरिक और मानसिक परिवर्तन हुआ। उसने पूना से फोन किया गुरुजी मुझे 9 बजे से नींद आने लगती है। किस प्रकार पाठ्यक्रम पूरा होगा। उसके घर वालों को पालक गाय को खिलाने को कहा। उसी के बड़े भाई के अनुसार “अब वह पूर्ण विश्राम करता है। शिक्षा का वही पुराना स्तर फिर से पा चुका है और बुद्धि की कुशाग्रता फिर से वही पैनापन पा चुकी है।” अभी कुछ समय पूर्व उसका परीक्षा फल आया था। उसने छः में से पाँच प्रश्न पत्रों में सफलता प्राप्त की और छठे की तैयारी कर रहा है।

कमजोर चन्द्रमा: कमजोर चन्द्रमा की शान्ति का एक और उदाहरण इस प्रकार है।

एक लडके के पिताजी ने टेलीफोन किया। “मेरा लड़का कई दिनों से सो नहीं पाया है। उसे नींद की गोलियों को कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। अधिक गोलियाँ शारीरिक हानि भी कर सकती हैं। जन्मपत्री की समीक्षा से पता चलता है कि इसका बुद्ध में शुक्र चल रहा है।

बुद्ध नीच है तथा शुक्र के साथ बारहवे भाव में है। साथ ही ये चन्द्र को दृष्टिपात कर रहे हैं। शुक्र मारकेश भी है तथा बुद्ध बुद्धि का कारक तथा चन्द्रमा राहू से दृष्ट है। केतु, बुद्ध तथा शुक्र को देख रहे हैं।

उसकी परीक्षा तीन दिन बाद होनी है। ऐसी विकट स्थिति में इसका परीक्षाफल कैसे ठीक होगा ? उन्हें बताया गया कि वे आज खीर बनाकर गरीबों में बांटे तो उनके लड़के को स्वास्थ्य लाभ तो होगा ही वह उत्तीर्ण भी हो जायेगा ।

ऐसा करने से छात्र को पूर्ण रूप से नींद आई और उसका मन भी शान्त हुआ। वह परीक्षा में सफल भी हो गया। ऐसे समय में यदि औषधियों के द्वारा उसे सुला दिया जाता तो वह परीक्षा कैसे देता और कब परीक्षा की तैयारी करता और यदि जागता रहता तो कैसे याद कर पाता ?

अपशब्द: दैवज्ञों ने चन्द्र मंगल योग की अति प्रशंसा की है। वे इसे एक राजयोग मानते है किन्तु जहाँ चन्द्रमा मन का कारक है मंगल क्रोध, हठ उग्र स्वभाव का कारक है। ऐसा व्यक्ति इतना उग्र हो जाता है कि क्रोध के वशीभूत हो वह निर्लज्ज शब्दों का प्रयोग निरन्तर करता रहता है और उग्र स्वभाव के कारण वह वस्तुओं की तोड़ फोड़ भी कर देता है।

ऐसी ही विकट समस्या से पीड़ित लड़की की माता ने अपनी गाथा इस प्रकार कही “मेरी लड़की के सम्बन्ध उसके पति से दिन प्रतिदिन बिगड़ते गये। हमने सोचा कि पति की गलती होगी। लड़की को घर पर लाया गया तो थोड़े दिनों के पश्चात उसने मुझे भी (माँ को) दुवर्चन कहने प्रारम्भ कर दिये और बात इतनी बढ़ी की उसने अपने पिता को भी नहीं छोड़ा। ऐसी विकट समस्या उनके परिवार में कभी नहीं आई थी। उसके माता-पिता जी मुझ से आकर मिले। उसकी जन्म-पत्री निम्न है।

इस जन्म पत्री में वृहस्पति लग्न में है। इसका अर्थ हुआ उपाय आसानी से कार्य करेगे और समय भी कम लगेगा। उन्हें ये उपाय बताये गये । शुक्र सूर्य के साथ है तथा चन्द्रमा पर मंगल तथा शनि की दृष्टि है । बुद्ध पर भी केतु की दृष्टि है। षष्ठेश मंगल की दृष्टि चन्द्रमा पर काफी कष्टकारी सिद्ध हुई । उसका विवाह दो वर्ष पहले हुआ था तथा जब उसका परिवार मुझ से मिलने के लिए आया उस समय शनि में बुद्ध समाप्त हुआ था। बुद्ध, केतू द्वारा दृष्ट है तथा शनि से षष्ठ अष्टक योग बना रहा है। उन्हें ये उपाय बताये गये।

  • 250 ग्राम सिन्दूर, चांदी के वर्क, 200 मी. ली. आँवले का तेल श्री हनुमान मन्दिर में दे।
  • प्रतिदिन 13 आटे के पेड़े 40 दिन तक गाय को खिलायें। लाभ न होने पर इसे दुबारा करें।
  • श्री हनुमान अष्टक का पाठ कम से कम 11 बार अवश्य करें ।

उन्हें यह भी बताया गया कि तीन मास से पहले लाभ की आशा न करें हाँ यदि वे ये उपाय करते रहे तो लाभ अवश्य होगा।

कई बार फोन आये और उन्होंने अपनी दुख भरी गाथा सुनाई। वे उपाय बन्द करना चाहते थे किन्तु उन्हे समझाया गया कि यदि किसी को पता हो कि उसका रोग असाध्य है तो भी वह दवाई तो खाता ही है। इस का यह प्रभाव हुआ कि उन्होंने उपाय जारी रखे। उपाय रंग लाये और एक दिन लड़की ठीक हो गई।


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